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द्वापर काल में धर्मराज युधिष्ठिर को शंका हुई और उनहोने भगवान श्रीकृष्ण को पूछा- ‘हे माधव ! मेरे मन में रक्षाबंधन की कथा जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई है । हे अच्युत...
पाण्डुलिपि लेखन में सहायक सामग्री को पाण्डुलिपि के साधन अथवा उपकरण कहा जाता है । इसमें पत्र, लेखनी तथा मसी (स्याही) इत्यादि सम्मिलित हैं । • पाषाण – लेखन के आरम्भिक काल...
पाण्डुलिपि मुख्य रुप से चार प्रकार का होती हैं –...
संस्कृत कोश वाङ्मय – कोश वाङ्मय संस्कृत साहित्य और भारतीय ज्ञान-परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। संस्कृत भाषा में शब्दों के अर्थ, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, और विशेष विवरण...
श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण के द्वारा महाभारत का युद्ध आरंभ होने के पहले अर्जुन को कर्तव्य अकर्तव्य का बोध कराने हेतु दिया गया था। यह ग्रंथ महाभारत की...
प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थों का सीधे प्रकाशन करना सम्भव नहीं है । प्रकाशन से पूर्व उसका सम्पादन किया जाता है । सम्पादन कर्ता ग्रन्थ का अक्षरशः पुनर्लेखन करता है । जिससे...
भारत में प्राचीन काल में ज्ञान प्राप्त करने की परम्परा श्रुति परम्परा हुआ करती थी । इसी कारण से विश्व की प्राचीनतम ज्ञानराशी वेदों को भी श्रुति कहा गया है । प्राचीन काल...
शोध के प्रकार –अनुसंधान के क्षेत्र में संशोधन के अनेकों प्रकार हो सकते हैं। तथापि अनुसंधाताओं ने संशोधन के कुछ प्रकार निर्धारित किया है । अनुसंधान के प्रकार शोध के...
संशोधन शब्द का अर्थ पुनः पुनः खोज या अन्वेषण करने से है। वर्तमान समय विज्ञान अथवा तकनीकी युग के नाम से जाना जा रहा है। आज के इस तकनीकी युग में अथवा वैज्ञानिक युग में...