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हमारे धर्म शास्त्र में वेदों पुराणों और स्मृतियों को प्रमाण माना जाता है। स्मृतियां धर्म ग्रंथ है जो समाज को सही दिशा प्रदान करती है। स्मृतियों की संख्या 25 से 30 है।...
भाषायाः दृष्ट्या भारतं समृद्धं राष्ट्रम् अस्ति । भारते सहस्रवर्षेभ्यः ज्ञानस्य वाचिकसञ्चारः प्रचलति । “ऋषियो मन्त्रद्रष्टार:” अनेन स्पष्टं भवति...
मानव का विकासवाद भगवान विष्णु के 10 अवतार के आधार पर हम मानव के विकास वाद को स्पष्ट कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के आधार पर हम यह स्पष्ट करेंगे कि किस प्रकार दशावतार मानव के...
तीन लोग चौदह भुवन, प्रेम कहूं ध्रुव नाहि।जगमग रह्यो जराव सौ, करोड़ श्री वृंदावन मांहि ।।अर्थ:- तीनों लोकों में तथा 14 भुवनों में कहीं पर भी सहज प्रेम की प्राप्ति नहीं...
द्वापर काल में धर्मराज युधिष्ठिर को शंका हुई और उनहोने भगवान श्रीकृष्ण को पूछा- ‘हे माधव ! मेरे मन में रक्षाबंधन की कथा जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई है । हे अच्युत...
पाण्डुलिपि लेखन में सहायक सामग्री को पाण्डुलिपि के साधन अथवा उपकरण कहा जाता है । इसमें पत्र, लेखनी तथा मसी (स्याही) इत्यादि सम्मिलित हैं । • पाषाण – लेखन के आरम्भिक काल...
पाण्डुलिपि मुख्य रुप से चार प्रकार का होती हैं –...
संस्कृत कोश वाङ्मय – कोश वाङ्मय संस्कृत साहित्य और भारतीय ज्ञान-परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। संस्कृत भाषा में शब्दों के अर्थ, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, और विशेष विवरण...
श्रीमद् भागवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण के द्वारा महाभारत का युद्ध आरंभ होने के पहले अर्जुन को कर्तव्य अकर्तव्य का बोध कराने हेतु दिया गया था। यह ग्रंथ महाभारत की...