Sanskrit slogan with Hindi meaning

20 संस्कृत सूक्तियाँ हिन्दी अर्थ सहित Sanskrit slogan with Hindi meaning

Sanskrit slogan with Hindi meaning असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्माऽमृतं गमय । – बृह. 1/3/28मुझे असत् से सत् की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमृत की ओर ले चलो । पुमान् पुमांसं परिपातु विश्वतः । ऋग्. 6/75/14प्रत्येक मनुष्य परस्पर मनुष्य की सभी प्रकार से रक्षा करें । घृतात् स्वादीयो मधुनश्च…

Sanskrit Shlokas on Moh with meaning in hindi

Sanskrit Shlokas on Moh with meaning in hindi

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च ।।भगवद्गीता – 2.52 जब तुम्हारी बुद्धि, आत्मा और अनात्मा के विवेकरुपी ज्ञान को मलिन करने वाली मोहरुपी कालिमा का उल्लङ्घन कर जाएगी अर्थात् जब बुद्धि शुद्ध हो जाएगी तब तुम्हे तुम्हारे लिए सुनने योग्य और तुम्हारे द्वारा सुने हुए विषयों से वैराग्य की प्राप्ति हो जाएगी…

Sanskrit Shlokas with Meaning in Hindi

40 Sanskrit Shlokas with Meanings in Hindi संस्कृत श्लोक अर्थ सहित हिन्दी मे

Sanskrit Shlokas on Dharma सुखार्थं सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः ।सुखं नास्ति विना धर्मं तस्मात् धर्मपरो भव ॥ अष्टांग. सूत्र. अ. – 2/20संसार के समस्त प्राणियों की प्रवृत्ति सुखार्थ अर्थात् सुख के लिए ही होती है । किन्तु धर्मसंगत आचरण के बिना सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती । अत: सदैव धर्म परायण होकर ही रहना…

Sanskrit Shlokas on greed with Hindi Meaning लोभ के ऊपर संस्कृत के श्लोक

Sanskrit Shlokas on greed with Hindi Meaning लोभ के ऊपर संस्कृत के श्लोक

Sanskrit Shlokas on Greed लोभात्क्रोधः प्रभवति लोभात्कामः प्रजायते ।लोभान्मोहश्च नाशश्च लोभः पापस्य कारणम् ।।(हितोपदेश, मित्रलाभ, २७) लोभ नामक भाव से क्रोध का प्रादुर्भाव होता है । क्योकि जिस वस्तु को लोभ होगा उसको प्राप्त करने के प्रयत्न भी अनेक होंगे क्योकि वही लोभ कामना के उदय का कारण बनता है फिर भी अगर वह वस्तु…

Sanskrit Shlokas on Anger

Sanskrit Shlokas on Anger with Meaning in Hindi

Sanskrit Shlokas on Anger क्रोधो सर्वार्थनाशकोक्रोध मनुष्य के सभी अर्जित कर्मों का नाश कर देता है । वाच्यावाच्यं प्रकुपितो न विजानाति कर्हिचित्।नाकार्यमस्ति क्रुद्धस्य नवाच्यं विद्यते क्वचित्॥ – श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण 5.55.5 मनुष्य जब क्रोध में होता है तो उसको क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं बोलना चाहिए इसका विवेक नहीं रहता । क्रुद्ध मनुष्य उस अवस्था…