पुराणों के अनुसार डार्विन ने दी अपनी थ्योरी | According to the Puranas, Darwin gave his theory.
मानव का विकासवाद


भगवान विष्णु के 10 अवतार के आधार पर हम मानव के विकास वाद को स्पष्ट कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के आधार पर हम यह स्पष्ट करेंगे कि किस प्रकार दशावतार मानव के विकासवाद को दर्शाता है। भगवान विष्णु का सबसे पहला अवतार मत्स्य अवतार है। विज्ञान वादियों के अनुसार जीव का जन्म जल से ही माना जाता है।

1. मत्स्य अवतार :- समुद्री जल के झाग तथा समुद्र जल के अंदर एक कोशिकीय जीवों की उत्पत्ति आरंभिक काल में हुई। एक कोशिकीय जीवों से बहूकोशिकीय जीवों की उत्पत्ति हुई। जैसे:- स्थिर जल में कुछ समय के बाद कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं, उसी प्रकार जल से एककोशिकीय अमीबा उत्पन्न हुआ। वही जीव कालांतर में बहूकोशिकीय के रूप में परिवर्तित हुआ और मछलियां के रूप में प्रकट हुआ। अतः भगवान विष्णु का पहला मत्स्य अवतार जल से ही जीवन की उत्पत्ति को दर्शाता है।

2. कूर्म अवतार :- प्रकृति के साथ लगातार संघर्ष के बाद ऐसे जीवों का विकास हुआ जो जलचर व थलचर दोनों प्रकार के थे। अर्थात् वे जीव कुछ समय जल में तथा कुछ समय पृथ्वी पर निवास कर सकते थे। समुद्री जल में विशालकाय ग्राह,कूर्म, शार्क,व्हेल, इत्यादि बहुकोशिकीय जीवों की उत्पत्ति हुई। अतः भगवान विष्णु का कुर्मावतार इसी विकास क्रम का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

3. वाराह अवतार :- जलचर तथा थलचर जीवों के इसी विकास क्रम में आगे पूर्ण रुप से पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवो की उत्पत्ति हुई। इन जीवो में रीढ़ की हड्डी विकसित होने लगी तथा बड़े-बड़े स्थलीय जीवों का विकास हुआ।जीव की इसी विशालता को प्रकट करने हेतु भगवान का वाराह अवतार हुआ है।वाराह का अर्थ ब्रम्हांड की विशालता के लिए भी जाना जाता है। इन विशालकाय जीवो में डायनासोर के समान विशाल जीवों को गिन सकते हैं। वाराह का अर्थ है “विशालकाय” । अतः वाराह अवतार पृथ्वी पर विशालकाय जीवो के विकास क्रम को दर्शाता है।

4. नृसिंह अवतार :- विकास के इसी क्रम में आगे विकसित होते हुए जीव में आधा मानव आधा पशु के रूप में भगवान नृसिंह का अवतरण हुआ। भगवान नृसिंह जो कि अत्यंत क्रोधी थे तथा अधिक सोच विचार नहीं कर सकते थे, जो सही लगे वही करना ही इस अवतार की पहचान थी। अर्थात अब जो जीव विकसित हुए उनमें मानवता तथा पशुता दोनों के गुण शामिल थे ।कालांतर में इसी के आधार पर डार्विन ने अपनी थ्योरी में कहा है कि पशु से ही मानव का निर्माण हुआ है। अतः नरसिंह अवतार इसी का सूचक है।

5. वामन अवतार :- वामन अवतार विकास क्रम में मानव निर्माण का प्रतीक है। वामन अवतार एक बोने, बलिष्ठ, बुद्धिमान व्यक्ति का प्रतिक है । जैसा कि विज्ञानवादी कहते हैं कि, मनुष्य दो प्रकार के होते थे – होमोइरेक्टस ( नरवानर ) एवं होमोसेपियंश ( मानव )।वामन अवतार होमोसेपियंश का उदाहरण है। होमोसेपियंश ने विकास क्रम की इस लड़ाई को जीत लिया भगवान विष्णु का यह अवतार इसी विकास क्रम को दर्शाता है।

6. परशुराम अवतार :- भगवान परशुराम का अवतार पूर्ण विकसित मानव के रूप में हुआ। किंतु, यह मानव भावनाओं के आवेग को रोकने में असमर्थ रहा, यह गुस्सैल, नकारात्मक भावों को धारण करने वाला, असामाजिक, एकांतवाशी तथा कुछ हद तक हिंसक रहा। यह मानव परशु नामक अस्त्र को धारण करता था। अतः स्पष्ट होता है कि तब तक अस्त्र – शस्त्रों का आविष्कार पूर्ण रुप से हो चुका था। क्योंकि परशुराम संपूर्ण अस्त्र- शस्त्रों के ज्ञाता थे। परशुराम पर्वतों पर तथा अपने पिता की कुटिया में निवास करते थे इससे स्पष्ट होता है कि, तब तक मानव कुटिया बनाकर परिवारों के साथ रहने लगे थे।

7. श्रीराम अवतार :- श्रीराम पूर्ण विकसित मानव के रूप में प्रकट हुए, जो सोच- विचारशील, सामाजिक शांत, समाज के लिए प्रेरणादायक कर्म करने वाले उत्तम नेता के रूप में आए। सभी प्रकार की हिंसक प्रवृत्तियों के नाशक तथा तर्कयुक्त, विचारशील सामाजिक मनुष्य के रूप में भगवान श्री राम का अवतरण हुआ। परशुराम की नकारात्मक तथा निरर्थक हिंसा को नष्ट करने वाले पूर्ण विकसित एवं समाज कल्याण करने वाले मानव के रूप में श्री राम का प्राकट्य हुआ।

8. कृष्णावतार :-कृष्ण अवतार एक ऐसे सुविकसित मानव के रूप में हुआ है, जो राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी कर्मज्ञ, धर्म- अधर्म के ज्ञाता, उचित-अनुचित के निर्णय कर्ता के रूप में हुआ। उच्चतम कोटी के मानव व गुरू के रूप मे श्रीकृष्णावतार हुआ इसी कारण कृष्णावतार को पूर्णावतार भी कहा जाता है।

9. बुद्ध अवतार :- कीकट देश में अजिन के पुत्र बुद्ध का जन्म द्वापर युग के उत्तरार्ध में हुआ । महाभारत जैसे युद्ध के बाद तत्कालीन सभ्यता में शांति की परमावश्यकता थी। अतः शांति की प्राप्ति हेतु ध्यान और प्रबुद्धता के गुणों से परिपूर्ण भगवान विष्णु का बुद्ध अवतार हुआ। जिसने जनकल्याण के लिए स्वनाम स्वरूप बौद्धिक शक्ति का विकसित स्वरूप समाज के सामने प्रकट किया और लोगों को शांति के मार्ग के लिए प्रेरित किया। बुद्ध ने शांति व योग के मार्ग को प्रशस्त किया।

10. कल्कि अवतार :- शांति, सत्य, धर्म के पालन की अनंत संभावनाओं की प्रतिमूर्ति रूप इस अवतार का जन्म होगा। भगवान विष्णु का यह अवतार अत्यंत सभ्य, सुशिक्षित, ज्ञानी, योगी, धर्मज्ञ के रूप में होगा।
इन समस्त अवतारों के द्वारा हम मानव के विकासवाद को तथा सामाजिक विकासवाद को पूर्ण तरह समझने में समर्थ है।
