भारत में अनेक उत्सव पशुओं के निमित्त आयोजित किये जाते है । उनमें से एक उत्सव है – बैलपोळा
बैलपोळा
भारत देश विविधताओं का देश है यह वाक्य अनेक पुस्तकों व लेखादि में पढने को मिलता है । भारत देश पर तथा उसकी संस्कृति पर लेखनी चलाने वाला कोई भी व्यक्ति इस वाक्य का प्रयोग किये बिना नहीं रह सकता । इसका कारण है हमारी संस्कृति की विविधता और विविधताओं के द्वारा जन समुदाय को प्रसन्नता प्रदान करने के कारणों को पैदा करना । भारत के समस्त व्रत, त्योहार आदि लोगों में परस्पर सौहार्द (अपनापन) की भावना पैदा करने तथा आपसी प्रेम को बढाने के उत्तम साधन है । भारत की संस्कृति व परम्पराएं न केवल मनुष्यों के लिए अपितु पशुओं के लिए भी उत्सव का कारण है । भारत में अनेक उत्सव पशुओं के निमित्त भी आयोजित किये जाते है । उनमें से एक उत्सव है – बैलपोळा ।
यह उत्सव महाराष्ट्र क्षेत्र के पंचांग के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को तथा उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है । यह अमावस्या तिथि पिठोरी अमावस्या कहलाती है ।
यह उत्सव मुख्यतः महाराष्ट्र राज्य में आयोजित किया जाता है । इस दिन खेत में कार्य कार्य करने वाले बैलों को अवकाश दिया जाता है । इस उत्सव में कृषक अनेक प्रकार से अपने बैलों को सुसज्जित करते है और बैलों की ससम्मान पूजा इत्यादि भी की जाती है । इस दिन बैलों को विशेष भोजन भी दिया जाता है । प्रत्येक कृषक अपने बैलों को सामर्थ्यानुसार महाराष्ट्र की प्रसिद्ध पुरणपोळी का नैवेद्य अर्पित करते है । महाराष्ट्र राज्य में भी यह उत्सव विशेषतः विदर्भक्षेत्र में अत्यन्त हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।
हमारी संस्कृति संसार के समस्त प्राणियों के लिए हर्ष, उल्लास और स्नेह देने वाली है । ऐसी संस्कृति विश्व के किसी कोने में नहीं होगी जहाँ पशुओं को भी देवत्व प्राप्त होता हो । वस्तुतः यह परम्परा हमें कृतज्ञता का बोध करवाती है । यह रीति हमें सिखलाती है कि चाहे मनुष्य हो या पशु जिसके द्वारा हमें जीवन में सहायता प्राप्त होती है हमें सदैव उसके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए । हमारे मन में कभी अहंकार का भाव जागृत ना हो, हम कभी मदान्ध (अहंकार में अंधा) न हों और स्वयं को सर्वोपरि समझ कर अनैतिक कार्यों में प्रवृत्त न हो इस प्रकार के नैतिक भावों को हमारे मन में संस्कारित करने के लिए हमारी संस्कृति में विविध परम्पराएं समाहित की गई हैं जो हमें मानवता का बोध करवाती है और हमारे लिए मुक्ति पथ को प्रदर्शित करती हैं ।