संस्कृत कोशवाङ्मय विवरण | Sanskrit Dictionary Literature

Spread the love


संस्कृत कोश वाङ्मय – कोश वाङ्मय संस्कृत साहित्य और भारतीय ज्ञान-परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। संस्कृत भाषा में शब्दों के अर्थ, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, और विशेष विवरण देने वाले कोशों का निर्माण प्राचीन काल से ही होता रहा है। ये कोश ग्रन्थ केवल शब्दों का संकलन नहीं करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा, और दर्शन के गहन ज्ञान को सुरक्षित रखते हैं।
संस्कृत में प्राप्त कोश साहित्य को मुख्य रूप से निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

  1. पर्याय कोश (थिसॉरस)
    इस कोश में पर्यायवाची शब्दों का संग्रह प्राप्त होता हैं।
    • अमरकोश (अमर सिंह) – यह संस्कृत का सबसे प्रसिद्ध कोश है, जिसे “नामलिंगानुशासनम्” भी कहा गया है। इसमें शब्दों के पर्याय, लिंग, और व्याकरणिक उपयोग निर्दिष्ट हैं ।
    • हलायुध कोश – अमरकोश के समान, यह भी एक महत्वपूर्ण पर्याय अर्थ को देने वाले शब्दों का कोश है। वर्तमान में यह अधिक प्रचलित नहीं है ।
    इसके अतिरिक्त शब्दक्लपद्रुम, वाचस्पत्यम् तथा मेदिनी कोश जैसे महान्तम ग्रन्थ भी इसी श्रेणी में आते है ।
  2. निघण्टु – यह वेदों में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करने वाला कोश हैं। वैदिक निघण्टु यास्क मुनि के “निरुक्त” के रुप में उल्लिखित है। निघण्टु ग्रन्थ मुख्यतः वैदिक मंत्रों में प्रयुक्त दुर्बोध शब्दों की व्याख्या के लिए रचे गए थे।
    प्रमुख संस्कृत कोश और उनके लेखक
    कोश का नाम लेखक विशेषता
    अमरकोश अमर सिंह पर्यायवाची शब्दों का प्रसिद्ध ग्रंथ।
    निघण्टु यास्क वैदिक शब्दों की व्याख्या।
    मेदिनी कोश अज्ञात सरल और उपयोगी कोश।
    हलायुधकोश हलायुध शास्त्र दृष्टि से उपयोगी ।
    वाचस्पत्यम् तर्कवाचस्पति व्याकरण तथा शास्त्र की दृष्टि से महत्वपूर्ण ।
    शब्दकल्पद्रुम राधाकान्त देव बहादुर पर्याय, शब्दार्थ तथा ज्ञान की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण।
    संस्कृत कोश वाङ्मय का महत्व
  3. भाषा का संरक्षण और विकास के लिए कोश वाङ्मयों के द्वारा संस्कृत भाषा को संरक्षित रखने और इसके अर्थविस्तार हेतु योगदान दिया गया है ।
  4. ज्ञान का वर्गीकरण विषयवार और व्यवस्थित जानकारी का स्रोत होता है जो कि कोश वाङ्मय के द्वारा प्राप्त होता है ।
  5. शैक्षिक उपयोगिता संस्कृत शिक्षण और शोध के लिए महत्त्वपूर्ण है। साथ ही कोश वाङ्मय भी शोध के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं । इनके द्वारा शोध को सरल और सुगम शब्दों में प्रस्तुत किया जा सकता है ।
  6. संस्कृत साहित्य का आधार महाकाव्य, नाटक, और अन्य साहित्यिक रचनाएं हैं । इन रचनाओं के शब्दार्थों को समझने के लिए कोश अनिवार्य है।
  7. आधुनिक विज्ञान के जगत में कंप्यूटर भाषा संरचना और डेटा क्लासिफिकेशन में संस्कृत कोशों की संरचना उपयोगी है।


Spread the love

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.