ब्रह्माण्ड के चौदह भुवन – The fourteen realms of the universe.
तीन लोग चौदह भुवन, प्रेम कहूं ध्रुव नाहि।जगमग रह्यो जराव सौ, करोड़ श्री वृंदावन मांहि ।।अर्थ:- तीनों लोकों में तथा 14 भुवनों में कहीं पर भी सहज प्रेम की प्राप्ति नहीं होती है, जबकि वृंदावन प्रदेश में हीरे मोतियों की तरह जगमगाता हुआ प्रेम सहज रूप से प्राप्त हो जाता है।।यहां पर कवि ने तीन…