पाण्डुलिपि के साधन अथवा उपकरण | Tools or Instruments for Manuscripts

पाण्डुलिपि के साधन अथवा उपकरण | Tools or Instruments for Manuscripts

पाण्डुलिपि लेखन में सहायक सामग्री को पाण्डुलिपि के साधन अथवा उपकरण कहा जाता है । इसमें पत्र, लेखनी तथा मसी (स्याही) इत्यादि सम्मिलित हैं । • पाषाण – लेखन के आरम्भिक काल में लेखन को उत्कीर्ण करके ही लिखा जाता रहा है । प्राचीन हस्तलिखित गुफा, शिला तथा स्तम्भों पर ही प्राप्त होते हैं ।…

संस्कृत कोशवाङ्मय विवरण  | Sanskrit Dictionary Literature

संस्कृत कोशवाङ्मय विवरण | Sanskrit Dictionary Literature

संस्कृत कोश वाङ्मय – कोश वाङ्मय संस्कृत साहित्य और भारतीय ज्ञान-परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। संस्कृत भाषा में शब्दों के अर्थ, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, और विशेष विवरण देने वाले कोशों का निर्माण प्राचीन काल से ही होता रहा है। ये कोश ग्रन्थ केवल शब्दों का संकलन नहीं करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा, और दर्शन…

हस्तलिखितशास्त्र (पाण्डुलिपियां) | Manuscriptology (Manuscripts)

हस्तलिखितशास्त्र (पाण्डुलिपियां) | Manuscriptology (Manuscripts)

भारत में प्राचीन काल में ज्ञान प्राप्त करने की परम्परा श्रुति परम्परा हुआ करती थी । इसी कारण से विश्व की प्राचीनतम ज्ञानराशी वेदों को भी श्रुति कहा गया है । प्राचीन काल में मन्त्रों का श्रवण करके यथावत् स्मरण किया जाता था अतः उस परम्परा को श्रुति शब्द से सम्बोधित किया गया । बढते…

पाण्डुलिपि सम्पादन | Manuscript Editing

पाण्डुलिपि सम्पादन | Manuscript Editing

प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थों का सीधे प्रकाशन करना सम्भव नहीं है । प्रकाशन से पूर्व उसका सम्पादन किया जाता है । सम्पादन कर्ता ग्रन्थ का अक्षरशः पुनर्लेखन करता है । जिससे पाण्डुलिपि की उस प्रतिलिपि में जो भी दोष होते है उनका भी निवारण कर दिया जाता है ।पाण्डुलिपि सम्पादक को कुछ बातों का ध्यान रखना…

संशोधन के प्रकार तथा वर्गीकरण

संशोधन के प्रकार तथा वर्गीकरण

शोध के प्रकार –अनुसंधान के क्षेत्र में संशोधन के अनेकों प्रकार हो सकते हैं। तथापि अनुसंधाताओं ने संशोधन के कुछ प्रकार निर्धारित किया है । अनुसंधान के प्रकार शोध के अलग-अलग क्षेत्र से संबंधित है जिनमें विज्ञान, समाज, तकनीकी, साहित्य, भाषा आदि क्षेत्र सम्मिलित हैं । शोध में संशोधन के प्रकारों को निम्न प्रकार से…

संशोधन का अर्थ एवं स्वरूप

संशोधन का अर्थ एवं स्वरूप

संशोधन शब्द का अर्थ पुनः पुनः खोज या अन्वेषण करने से है। वर्तमान समय विज्ञान अथवा तकनीकी युग के नाम से जाना जा रहा है। आज के इस तकनीकी युग में अथवा वैज्ञानिक युग में संशोधन का विशेष महत्व है। अभी तक अनेक प्रकारों से अनेकों विद्वानों ने संशोधन की विविध व्याख्याएं की है तथा…

Personality development through Sanskrit

संस्कृत के द्वारा व्यक्तित्व निर्माण Personality development through Sanskrit

संस्कृत के द्वारा व्यक्तित्व निर्माणयह हम सभी को विदित है कि भारत देश एक समय पर विश्व गुरु पद पर सुशोभित था । तदन्तर आज तक यह सौभाग्य किसी अन्य देश को प्राप्त नहीं हुआ है । विचारणीय विषय यह है कि ऐसे कौनसे कारण रहे कि भारत के उपरान्त अन्य देश इस पद को…

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदिकवि माने जाते है
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महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदिकवि माने जाते है

वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदिकवि माने जाते है । इनका महाकाव्य हिन्दू संस्कृति और समाज का आधार स्तम्भ है । भारतीय परम्पराओं में वाल्मीकि विरचित रामायण को देवत्व का स्थान प्राप्त है । समय – समय पर इसका पारायण तथा पूजन किया जाता है । वाल्मीकि रामायण सनातन संस्कृति का प्रतीक है…

Sanskrit language and literature संस्कृतभाषा व साहित्य
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Sanskrit language and literature संस्कृतभाषा व साहित्य

संस्कृतभाषा प्राचीन काल से ही भारतीय शास्त्रपरम्परा की वाहिनी रही है । प्राचीन भारतीय ग्रन्थ संस्कृत के आश्रय से ही समृद्ध हुए हैं । भारतीय वेद. वेदांग, दर्शन, कला आदि समस्त साहित्यग्रन्थों को संस्कृत ने ही अपने अंक में स्थान दिया है । संस्कृतभाषा समस्त भारतीय भाषाओं में अग्रगण्य तथा जननी स्वरुपा है । अन्तर्राष्ट्रीय…