अष्टविनायक :-  गणपति के आठ अवतार

अष्टविनायक :-  गणपति के आठ अवतार

भारत देश का दस दिवसीय उत्सव – गणेश उत्सव । यह उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाता है । इस अवसर पर भगवान् गणेश की पार्थिव प्रतिमा की प्रणा प्रतिष्ठा करके घर- घर में पूजा की जाती है । भारतीय शास्त्र परम्परा के अनुसार माँ पार्वती के द्वारा चतुर्थी…

Hartalika Vrat a Scientific and Social Analysis of Indian Fasts and Traditions
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हरतालिका व्रत: भारतीय व्रत और परंपराओं का वैज्ञानिक व सामाजिक विश्लेषण

Hartalika Vrat Scientific and Social Analysis of Indian Fasts and Traditions भारतदेश अपनी संस्कृति और अपनी परम्पराओं के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है । कुछ लोग इन परम्पराओं को रुढी मानकर निभाते चले आ रहे है । किन्तु वस्तुतः इनके पीछे छिपे गूढ अर्थों को हम नहीं समझ पाते है । भारत की संस्कृत और…

Sanskrit slogan with Hindi meaning

20 संस्कृत सूक्तियाँ हिन्दी अर्थ सहित Sanskrit slogan with Hindi meaning

Sanskrit slogan with Hindi meaning असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्माऽमृतं गमय । – बृह. 1/3/28मुझे असत् से सत् की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमृत की ओर ले चलो । पुमान् पुमांसं परिपातु विश्वतः । ऋग्. 6/75/14प्रत्येक मनुष्य परस्पर मनुष्य की सभी प्रकार से रक्षा करें । घृतात् स्वादीयो मधुनश्च…

Six types of teachers in human life

Six types of teachers in human life षडेते गुरवः स्मृताः

मनुष्य जीवन में शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है । अतः शिक्षा देने वाले शिक्षक का महत्व भी कम नहीं है । मानव जीवन में शिक्षा मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है । शिक्षा उतनी ही आवश्यक है जितना की भोजन वस्त्रादि । मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षण में शिक्षा ग्रहण करता है । जन्म…

भारत में अनेक उत्सव पशुओं के निमित्त आयोजित किये जाते है । उनमें से एक उत्सव है – बैलपोळा

भारत में अनेक उत्सव पशुओं के निमित्त आयोजित किये जाते है । उनमें से एक उत्सव है – बैलपोळा

बैलपोळाभारत देश विविधताओं का देश है यह वाक्य अनेक पुस्तकों व लेखादि में पढने को मिलता है । भारत देश पर तथा उसकी संस्कृति पर लेखनी चलाने वाला कोई भी व्यक्ति इस वाक्य का प्रयोग किये बिना नहीं रह सकता । इसका कारण है हमारी संस्कृति की विविधता और विविधताओं के द्वारा जन समुदाय को…

Sanskrit Shlokas on Moh with meaning in hindi

Sanskrit Shlokas on Moh with meaning in hindi

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च ।।भगवद्गीता – 2.52 जब तुम्हारी बुद्धि, आत्मा और अनात्मा के विवेकरुपी ज्ञान को मलिन करने वाली मोहरुपी कालिमा का उल्लङ्घन कर जाएगी अर्थात् जब बुद्धि शुद्ध हो जाएगी तब तुम्हे तुम्हारे लिए सुनने योग्य और तुम्हारे द्वारा सुने हुए विषयों से वैराग्य की प्राप्ति हो जाएगी…

Sanskrit Shlokas with Meaning in Hindi

40 Sanskrit Shlokas with Meanings in Hindi संस्कृत श्लोक अर्थ सहित हिन्दी मे

Sanskrit Shlokas on Dharma सुखार्थं सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः ।सुखं नास्ति विना धर्मं तस्मात् धर्मपरो भव ॥ अष्टांग. सूत्र. अ. – 2/20संसार के समस्त प्राणियों की प्रवृत्ति सुखार्थ अर्थात् सुख के लिए ही होती है । किन्तु धर्मसंगत आचरण के बिना सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती । अत: सदैव धर्म परायण होकर ही रहना…

Sanskrit Shlokas on greed with Hindi Meaning लोभ के ऊपर संस्कृत के श्लोक

Sanskrit Shlokas on greed with Hindi Meaning लोभ के ऊपर संस्कृत के श्लोक

Sanskrit Shlokas on Greed लोभात्क्रोधः प्रभवति लोभात्कामः प्रजायते ।लोभान्मोहश्च नाशश्च लोभः पापस्य कारणम् ।।(हितोपदेश, मित्रलाभ, २७) लोभ नामक भाव से क्रोध का प्रादुर्भाव होता है । क्योकि जिस वस्तु को लोभ होगा उसको प्राप्त करने के प्रयत्न भी अनेक होंगे क्योकि वही लोभ कामना के उदय का कारण बनता है फिर भी अगर वह वस्तु…

Sanskrit Shlokas on Anger

Sanskrit Shlokas on Anger with Meaning in Hindi

Sanskrit Shlokas on Anger क्रोधो सर्वार्थनाशकोक्रोध मनुष्य के सभी अर्जित कर्मों का नाश कर देता है । वाच्यावाच्यं प्रकुपितो न विजानाति कर्हिचित्।नाकार्यमस्ति क्रुद्धस्य नवाच्यं विद्यते क्वचित्॥ – श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण 5.55.5 मनुष्य जब क्रोध में होता है तो उसको क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं बोलना चाहिए इसका विवेक नहीं रहता । क्रुद्ध मनुष्य उस अवस्था…

Personality Development by Sanskrit Shlokas संस्कृत के द्वारा व्यक्तित्व निर्माण

Personality Development by Sanskrit Shlokas संस्कृत के द्वारा व्यक्तित्व निर्माण

यह हम सभी को विदित है कि भारत देश एक समय पर विश्व गुरु पद पर सुशोभित था । तदन्तर आज तक यह सौभाग्य किसी अन्य देश को प्राप्त नहीं हुआ है । विचारणीय विषय यह है कि ऐसे कौनसे कारण रहे कि भारत के उपरान्त अन्य देश इस पद को प्राप्त करने हेतु स्वयं…